मटका अड्ड्यावर आमदारांची धाड..! पण पाणी, वीज समस्या कधी सुटणार?
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*(व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा)*
मोदी जी गलत कहां कहते हैं। उनके विरोधी, असल में राष्ट्र-विरोधी हैं। मोदी विरोध तो बहाना है, भारत महान ही निशाना है। तभी इनसे भारत की जरा सी बड़ाई सहन नहीं होती है, न देश में और न विदेश में। अब बताइए, राहुल गांधी को और कुछ नहीं मिला तो अमरीका में जाकर, इंडिया के पीएम की खिल्ली उड़ाने लगे। कहने लगे कि हमारे मोदी जी उन लोगों में से हैं, जो समझते हैं कि वे सब कुछ जानते हैं। ये भाई लोग तो वैज्ञानिकों को विज्ञान सिखाने लग जाएंगे, इतिहासकारों को इतिहास पढ़ाने लग जाएंगे, फौजी जनरलों को सैन्य रणनीति सिखाने लग जाएंगे। ये तो वो हैं कि ईश्वर के पास बैठ जाएं, तो उसे भी समझा देंगे कि ब्रह्मांड कैसे चलता है। अगला भी चकरा जाएगा कि ये मैंने क्या बना दिया! फिर भी राहुल गांधी के कहने-सुनने से तो किसी का मजाक नहीं उड़ता, न मोदी जी का और न उनके इंडिया का, पर उनकी बातें सुनने को जमा हुई भीड़ ने भी ठहाका लगा दिया। और भीड़ भी, भारत छोड़ो को फॉलो कर के अमरीका में जा जमे भारतीयों वाली भीड़। यानी इडी-सीबीआइ-आइटी की पहुंच से भी दूर। तभी तो मजाक तो ऐसा उड़ा, ऐसा उड़ा कि हजारों किलोमीटर पार, हिंदुस्तान तक ठहाका सुनाई दिया।
पर अमरीका में मजाक उड़ा, तो उड़ा किस का! बेशक, मोदी जी के विरोधी इसे मोदी जी का मजाक उड़ना बताने की कोशिश करेंगे? लेकिन, यह सच नहीं है। असल में मजाक तो हमारे भारत महान का उड़ा है। राहुल गांधी ने जान-बूझकर विदेशी धरती पर, हमारे प्यारे देश का मजाक उड़ाया है। वर्ना इसमें हंसी उड़ने-उड़ाने वाली तो कोई बात ही नहीं थी। उल्टे भारत के लिए तो गर्व की बात थी : हमारा बंदा ईश्वर से भी ज्यादा जानता है! हमारा बंदा ईश्वर के साथ बैठ जाए, तो उसे भी दुनिया को चलाने के तौर-तरीके सिखा दे! बंदा इम्पोर्टेंट नहीं है, इम्पोर्टेंट ये है कि बंदा किस का है? जाहिर है कि बंदा इंडिया का है, जो ईश्वर को दुनिया चलाने का तरीका सिखा सकता है। सच पूछिए तो, इंडिया का ही बंदा ईश्वर को दुनिया चलाने का तरीका सिखा सकता है। दुनिया ने हमें विश्व गुरु यों ही थोड़े ही मान लिया है। ईश्वर हमारे बंदे से कंसल्ट कर के काम करता है, यह सब को पता है। तभी तो सारी दुनिया हमें उम्मीद की नजरों से देख रही है। हमारा बंदा ही ईश्वर को शासन-प्रशासन के गुर बताएगा, तभी पटरी से उतरती लगती दुनिया को, दोबारा पटरी पर लाया जाएगा। लेकिन, यह तो इंडिया के लिए गर्व की बात होनी चाहिए, न कि हंसी उड़ने की। पर मोदी के विरोध के नाम पर, भाई लोग इंडिया की वर्ल्ड लीडरशिप का भी मजाक उड़वा रहे हैं। यह भी अगर एंटीनेशनलता नहीं है, तो फिर एंटीनेशनलता और किसे कहेंगे!
हम तो कहेंगे कि मोदी जी के विधि आयोग ने एकदम सही सुझाव दिया है -- सेडीशन उर्फ राजद्रोह के लिए सजा और सख्त होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट इस कानून को ही खत्म कराना चाहता है, मगर उसका क्या है? उसे कौन सा पब्लिक ने देश चलाने के लिए चुना है; दुनिया चलाने के लिए चुने जाने का तो सवाल ही कहां उठता है। सेडीशन कानून नहीं होगा, तब तो कोई भी ऐरा-गैरा, मोदी जी की आलोचना की आड़ में, भारत राष्ट्र की हंसी उड़ाकर निकल जाएगा। राहुल गांधी के पास छिनने के लिए अब सांसदी नहीं रही तो भी क्या, बंदे को इंडिया के पीएम का मजाक उड़ाकर यूं ही थोड़े ही निकल जाने दिया जाएगा। विदेश में जो इंडिया के पीएम का मजाक बनाएगा, लंबा अंदर जाएगा।
*(व्यंग्यकार वरिष्ठ पत्रकार तथा साप्ताहिक 'लोकलहर' के संपादक हैं।)*
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